भारतीय टीम ने चटगांव टेस्ट में बांग्लादेश पर मजबूत पकड़ बना ली है। बांग्लादेश की टीम को आखिरी दिन यानी पांचवें दिन 241 रन बनाने हैं, जबकि उसके चार विकेट शेष हैं। भारत ने 513 रन का लक्ष्य रखा था। आखिरी दिन भारतीय स्पिनर बांग्लादेश के बल्लेबाजों पर कहर बनकर टूट सकते हैं। हालांकि, इस टेस्ट में जिस गेंदबाज ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया है, वह हैं कुलदीप यादव। कुलदीप ने पांच विकेट लेकर बांग्लादेश की पहली पारी को 150 रन पर समेट दिया था। यह उनके टेस्ट करियर का तीसरा फाइव विकेट हॉल रहा।
पांच विकेट पर ट्रेंड करने लगे कुलदीप
इसके बाद कुलदीप ट्रेंड करने लगे थे, क्योंकि करीब दो साल बाद उनकी टेस्ट टीम में वापसी हुई थी। साथ ही कुलदीप की गेंदबाजी शैली ‘चाइनामैन’ भी ट्रेंड करने लगी थी। चाइनामैन बॉलिंग एक विशेष प्रकार की बॉलिंग स्टाइल है जो सिर्फ स्पिनरों के लिए इस्तेमाल होती है। स्पिनर्स में भी सिर्फ बाएं हाथ के स्पिनर्स के लिए ही इस्तेमाल होती है।

क्या है चाइनामैन बॉलिंग?
दरअसल, चाइनामैन बॉलिंग लेफ्ट ऑर्म स्पिनर की लेग स्पिन गेंदबाजी है जो टप्पा पड़ने के बाद दाएं हाथ के बल्लेबाजों के लिए अंदर की ओर आती है और बाएं हाथ के बल्लेबाज के लिए बाहर की ओर घूमती है। इसमें बाएं हाथ का स्पिनर अपनी कलाइयों का इस्तेमाल कर गेंद को स्पिन कराता है, जिसके कारण वह ऑर्थोडॉक्स लेफ्ट स्पिन गेंदबाज से अलग होता है। इसे बाएं हाथ के स्पिनर्स का गुगली भी कहा जाता है। ऑर्थोडॉक्स लेफ्ट आर्म स्पिनर जैसे रवींद्र जडेजा और अक्षर पटेल।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कम ही ऐसे गेंदबाज हुए, जिन्हें चाइनामैन के रूप में पहचान मिली। दक्षिण अफ्रीका के पॉल एडम्स, ऑस्ट्रेलिया के माइकल बेवन, ब्रैड हॉग और साइमन काटिच और वेस्टइंडीज के दिग्गज आलराउंडर गैरी सोबर्स कुछ ऐसे गेंदबाज थे जो चाइनामैन शैली की गेंदबाजी किया करते थे। मौजूदा समय में भारत के कुलदीप यादव और दक्षिण अफ्रीका के तबरजे शम्सी कुछ इसी अंदाज में गेंदबाजी करते हैं। अब जानते हैं कि कैसे ‘चाइनामैन’ शब्द का प्रयोग हुआ, जबकि चीन की टीम क्रिकेट में कुछ खास एक्टिव नहीं है। दरअसल, इसका जनक इंग्लिश काउंटी क्लब यॉर्कशायर मॉरिस लेलैंड को माना जाता है, जो 1931 के समय अपनी खास गेंदबाजी शैली के लिए काफी प्रसिद्ध हुए थे।
कैसे पड़ा ‘चाइनमैन’ नाम?
यूं तो क्रिकेट में चीन की भागीदारी बिल्कुल जीरो है, पिछले कुछ समय पहले तक क्रिकेट को इस देश में कोई जानता भी नहीं था, लेकिन पिछले एक दशक में भारत, पाकिस्तान और आईसीसी के प्रयास के बाद चीन में कुछ क्रिकेट खेले जाने लगे हैं। क्रिकेट में चाइनामैन गेंदबाजी का नाम आज से नौ दशक पहले ही पड़ गया था।
ऐसा माना जाता है कि इसकी शुरुआत 1920 के दशक में हो चुकी थी। इस गेंदबाजी के असली जनक रॉय किलनर और मॉरिस लेलैंड को माना जाता है। दोनों अपने करियर में एक समय इंग्लिश काउंटी क्लब यॉर्कशायर के लिए खेल चुके हैं। किलनर प्रथम विश्व युद्ध से पहले यॉर्कशायर से खेलते थे। वह कभी-कभी गेंदबाजी करते थे और ऑर्थोडॉक्स स्पिन करते थे।